भागलपुर, अगस्त 25 -- फारबिसगंज, एक संवाददाता। आध्यात्मिक जीवन का आधार केवल हमारा शुद्ध अन्त:करण है, हमारी आत्मा की स्थिति है और कुछ नहीं। हमारे अन्त:करण की स्थिति क्या है। मन में कहीं उठापटक तो नहीं चल रहा है। मन अशांत है, बुद्धि विपर्यय की स्थिति में है। चित्त में चंचलता है। इसलिए योगदर्शन में महर्षि पंतजलि ने साधकों की स्थिति का वर्णन किया है। उपरोक्त बातें सोमवार को समर्पण दीप आध्यात्म महोत्सव के तहत कश्मीर से कन्याकुमारी तक वाराणसी से निकली स्वर्वेद संदेश यात्रा के फारबिसगंज आगमन में आयोजित धार्मिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संत प्रवर श्री विज्ञानदेव महादेव जी महाराज ने कही। उन्होंने अनुवाईयों को संबोधित करते हुए कहा कि धैर्य धर्म का प्रथम लक्षण है, क्योंकि व्यावहारिक धरातल पर चंचलता है तो धैर्य रखो, घबराओ नहीं, साधना से दूर मत जाओ...