लखनऊ, दिसम्बर 1 -- विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने बिजनेस प्लान और आरडीएसएस के तहत अरबों खर्च के बाद पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण को औचित्यहीन बताया है। अभियंताओं ने सोमवार को भी भोजनावकाश और शाम को कार्यालय अवधि के बाद विरोध प्रदर्शन किया। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि इतना खर्च करने के बाद निजी औद्योगिक समूहों को इन निगमों को मात्र 6500 करोड़ रुपये के रिजर्व बिड प्राइस पर सौंपने का क्या ही औचित्य है? यह तो ऐसा है कि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए सरकारी रकम खर्च करके निजी औद्योगिक समूहों को कमाने के लिए बिजली निगम दिए जा रहे हों। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन निजी घरानों के साथ मिलकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अंधेरे में रखकर एक लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को...