नई दिल्ली, नवम्बर 25 -- पांच सौ वर्ष पुराने विवाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राम जन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का स्वप्न साकार हो गया है। चंद घंटों के बाद मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण के साथ यह पूर्णता को प्राप्त होगा। इस बीच जन्मभूमि आंदोलन की यादें ताजा हो चली हैं। जन्मभूमि को लेकर लंबा संघर्ष चला लेकिन 22 दिसंबर 1949 की रात रामलला के प्राकट्य के बाद मामला फलक पर आ गया। परिसर से मूर्ति को हटाने का आदेश हुआ लेकिन जान विरोध के कारण यह सफल न हो सका। रामलला के प्राकट्य के साथ वर्ष 1950 में जन्मभूमि-बाबरी विवाद को लेकर फैज़ाबाद की अदालत में गोपाल सिंह विशारद ने पहला मुकदमा दायर किया और पूजा-पाठ जारी रखने का आदेश दिए जाने की मांग की। 16 जनवरी 1950 को कोर्ट ने उन्हें पूजा का अधिकार दे दिया। जमीन के स्वामित्व के लिए वर्ष 1959 में निर्मोही अखाड़े ...