विधि संवाददाता, सितम्बर 20 -- Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शराब तस्करी से जुड़े एक आपराधिक मामले को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए एफआईआर और जब्ती मेमो में अभियुक्त की जाति का उल्लेख करने की प्रथा को तत्काल समाप्त करने को कहा है। न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने अपने विस्तृत निर्णय में इस प्रथा को कानूनी भ्रांति और पहचान की प्रोफाइलिंग बताते हुए कहा कि यह संवैधानिक नैतिकता को कमजोर करती है और भारत में संवैधानिक लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अपनी पुलिस दस्तावेजीकरण प्रक्रियाओं में व्यापक बदलाव करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने आधिकारिक फॉर्मों से अभियुक्तों, मुखबिरों और गवाहों की जाति से संबंधित सभी कॉलम और प्रविष्टियों को हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रवीण छेत्री नामक व्यक्ति की याचिका क...