छपरा, जून 14 -- मढ़ौरा। एक संवाददाता मढ़ौरा के धेनुकी निवासी बाबूराम सिंह उन असाधारण पिता की मिसाल हैं जिनकी कहानी संघर्ष, त्याग और समर्पण की एक जीवंत प्रेरणा है। खुद सीमित संसाधनों और आर्थिक तंगी के बीच जीवन गुजारते हुए भी उन्होंने अपने सपनों को अपने बच्चों के माध्यम से जीया - और आज उनके तीनों बच्चे डॉक्टर बनकर उनके संघर्षों का अमिट पहचान बन गए हैं। पेशे से एक छोटे दवा दुकानदार बाबूराम सिंह ने कभी अपने हालात को अपने बच्चों की उड़ान में बाधा नहीं बनने दिया। उन्होंने वह सब कुछ किया जो एक पिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कर सकता है। इसके लिए चाहे उन्हें कभी खुद भूखे रहना पड़ा हो या इलाज के अभाव में पैर की चोट सहनी पड़ी हो लेकिन बच्चों की पढ़ाई के लिए उन्होंने हर कठिनाई को चुपचाप सह लिया। इन संघर्ष के दिनों में उन्होंने मढ़ौरा के जाने ...
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