प्रयागराज, जुलाई 3 -- पांच साल तक सरकारी दस्तावेज में मृत घोषित होने के बाद अचानक जीवित हुए बृजलाल के प्रकरण के बाद समाज कल्याण विभाग अब सुधार की ओर कदम बढ़ा रहा है। अब लेखापालों की प्रधान से बातचीत को अंतिम प्रमाण नहीं माना जाएगा। बल्कि पेंशनर के परिजनों से मुलाकात कर मृत्यु प्रमाणपत्र भी लिया जाएगा, जिसके बाद ही पोर्टल से नाम काटा जाएगा। सोरांव अर्जुनपुर के बुजुर्ग बृजलाल को समाज कल्याण विभाग से पेंशन मिलती थी। पांच साल पहले विभाग ने उनका नाम काट दिया। अफसरों के चक्कर काटकर थक चुके बुजुर्ग ने सोशल मीडिया पर जिलाधिकारी से शिकायत की तो उन्हें पेंशन दिलाई गई। समाज कल्याण विभाग में बृजलाल अकेले नहीं है। उन जैसे हजारों बुजुर्ग ऐसे हैं जो लेखपालों की कार्यशैली के कारण जीवित होते हुए भी अपने जिंदा होने का प्रमाणपत्र लेकर टहलते हैं। कई बार तो व...