रांची, अगस्त 9 -- रांची। विशेष संवाददाता झारखंड हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी व्यक्ति ने पहले ही कोर्ट से अपनी याचिका में बदलाव (संशोधन) करने की इजाजत ले ली हो, लेकिन वह संशोधन समय पर अपने केस में लागू नहीं करता है और अपील के समय बिना कोई ठोस वजह बताए फिर से बदलाव चाहता है तो इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी ने अपने फैसले में कहा है कि सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कोर्ट को यह अधिकार है कि वह किसी भी पक्ष को केस के किसी भी स्टेज पर याचिका में बदलाव की इजाजत दे सकता है, लेकिन यह तभी होगा, जब वह बदलाव न्याय के लिए जरूरी हो। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक यह साफ नहीं बताया जाता कि याचिका में क्या और कैसे बदलाव करना है, कोर्ट कोई फैसला नहीं कर सकता। प्रार्थी प्रबोध कुमार ने अपनी पैतृक संपत्ति म...