गोरखपुर, जून 15 -- गोरखपुर, रूद्र प्रताप सिंह। बड़गो स्थित गोकुलधाम वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की कहानियां सुनकर दिल कांप उठता है। यहां 100 से अधिक बुजुर्ग ऐसे हैं, जो अपने जीवन के अंतिम दिन उन अपनों से दूर बिता रहे हैं जिनकी परवरिश में उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन अर्पित कर दिया। इनमें से 50 से अधिक पिता ऐसे हैं, जिन्होंने बच्चों को गोद में उठाकर जीवन की ऊंचाइयां दिखाईं, लेकिन वही बच्चे आज उन्हें बेसहारा छोड़ चुके हैं। गोकुलधाम में कई बुजुर्ग ऐसे भी हैं जिनके संतान नहीं थी। उन्होंने भतीजों या अन्य रिश्तेदारों को ही जीवन का आधार बनाया, संपत्ति सौंपी, पर बुढ़ापे में वही उन्हें घर से निकाल फेंके। वृद्धाश्रम ही अब उनका ठिकाना बन चुका है। भतीजे को बेटे की तरह पाला, बुढ़ापे में घर से निकाला सरदारनगर चौरीचौरा निवासी सल्लार ने लुधियाना में जी...
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