मेरठ, मई 9 -- गंगोल रोड स्थित खेड़ाखानपुर गांव में दादा-दादी वृद्ध आश्रम में हिन्दुस्तान ने मदर्स डे पर वृद्धजनों से उनका हाल जाना तो उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए बताया कि हमने अपने पूरे जीवन में संघर्ष कर अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करने के लिए कड़ी धूप में पसीना बहाकर पेट भरा और लोगों से कर्ज लेकर भी शिक्षा पूरी कराई। बच्चों को काबिल होता देख मां बाप भी अपने बच्चों से यही उम्मीद रखते हैं कि उनके बच्चे बड़े हो गए हैं और मां बाप के बुढ़ापे का सहारा बनेंगे। बच्चों की नौकरी लगने पर मां-बाप कर्ज लेकर बच्चों की समय पर शादी करते हैं। शादी के कुछ दिनों बाद ही घर की बहू आए दिन खाना-पीना देने के लिए लड़ाई झगड़ा करती है जिससे घर में क्लेश रहता है। आखिर में बच्चे अपने मां-बाप को बोझ मानने लगते हैं और एक दिन वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं। मोहकमपु...