बोकारो, जून 1 -- आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन आनंद नगर में प्रभात संगीत,कीर्तन और आध्यात्मिक साधना से हुआ। इस मौके पर गुरु प्रतिनिधि आचार्य विकासानन्द अवधूत ने आनन्दमूर्ति के दर्शन पर कहा अपने मन को सभी सांसारिक आकर्षणों से हटाकर परमपुरुष की ओर केंद्रित करना चाहिए। जब व्यक्ति अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है, तो उसे भक्ति कहते हैं, लेकिन जब वह सांसारिक चीजों में उलझ जाता है, तो उसे आसक्ति कहा जाता है। भक्ति का असली अर्थ यही है कि अपनी मानसिक प्रवृत्तियों को बाहरी चीजों से हटा कर केवल परमपुरुष की ओर लगाएं। यदि मन किसी अन्य चीज की ओर आकर्षित होता है, तो वह भक्ति नहीं, बल्कि लगाव कहलाता है। मनुष्य को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहली श्रेणी ऐसे लोगों की है जो अपनी सच्ची भावनाएं छिपाते ...