शामली, फरवरी 7 -- जैन संत आचार्य 108 सौरभ सागर महाराज ने कहा है कि जो व्यक्ति अच्छा कार्य करने में आलस्य करता है उसे नास्तिक कहा जाता है। महाराजश्री ने कहा कि हमें आलस त्यागकर भगवान की भक्ति एवं श्रेष्ठ कार्य करने चाहिए। उन्हांेने आहवान किया कि बच्चों के अंदर भी अच्छे संस्कार पैदा करो। शहर के तालाब रोड स्थित जैन धर्मशाला में आयोजित मंगल प्रवचनों में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए जैन मुनि श्री सौरभ सागर महाराज ने कहा कि जैन शास्त्रों में आलसी व्यक्ति को दूसरे नंबर का दोषी माना गया है। जो व्यक्ति अच्छा कार्य करने में आलस करता है वह नास्तिक कहा जाता है। जैन धर्म में सेवा की प्रभावना होती है, वह सत्संग में जाता है, मंदिर में पूजा अर्चना करता है। महाराज श्री ने कहा कि धर्म कार्य मंे भी नौकर की प्रवृत्ति आ चुकी है, अपने घर व दुकान की साफ सफाई...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.