मुरादाबाद, जून 7 -- दुनिया के मशहूर स्पिनरों में शुमार रहे मुरादाबाद निवासी पीयूष चावला ने आखिरकार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। उनका सफर मुरादाबाद की गलियों से शुरू हुआ। घर में पीयूष को सभी प्यार से पारस कहकर बुलाते हैं। सोनकपुर स्टेडियम क्रिकेट की प्राथमिक पाठशाला बना और यहां से इंटरनेशनल ख्याति तक का सफर यादगार बन गया। वह अपने परिवार खासकर पिता की प्रेरणा का उल्लेख करना नहीं भूलते। साथ ही अपने पहले क्रिकेट कोच केके गौतम का नाम जरूर लेते हैं जिन्होंने उनके अंतर का खिलाड़ी पहचाना। दीन दयाल नगर निवासी पीयूष चावला किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने संघर्ष के साथ संवरना सीखा। पीयूष चावला के पिता पीके चावला इस दुनिया में नहीं हैं पर उन्होंने अपने बेटे को सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित किया। पीयूष चावला कहते हैं कि काफी दिनों से स...