जौनपुर, नवम्बर 6 -- खुटहन, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के उसरौली गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में गुरुवार को कथा वाचिका ऋचा मिश्रा ने कहा कि अन्न के कण और सत्संग के क्षण कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जिस प्रकार से अन्न शरीर का पोषण करता है, उसी प्रकार साधु का सत्संग मानव को मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। उन्होंने कहा कि इतिहास के एक युग में अहंकारी, दुराचारी, हिंसावादी और संतों का प्रबल विरोधी रावण पैदा हुआ था। जिसका प्रभु श्रीराम ने बध कर पूरी सृष्टि की रक्षा की थी। आज के भौतिक परिवेश में हर घर में रावण और मंथरा बैठी हैं। सबका एक साथ संहार प्रभु नहीं कर सकते। अब मानव के बध की आवश्यकता नहीं है वल्कि उनके भीतर जागृत हो रहे रावण और मंथरा रूपी दुर्विचारों का हनन करना है। इसके लिए किसी हथियार की जरूरत नहीं, सिर्फ संतों की संगति में जाना है। उन...