शामली, जुलाई 30 -- शहर के जैन धर्मशाला में मुनि श्री 108 विव्रत सागर मुनिराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि वर्षा की बूँदों और नदी के दृष्टांत के माध्यम से जीवन के लक्ष्य को समझाया गया है। कहा कि जिस प्रकार कुछ बूँदें धरती पर गिरकर नष्ट हो जाती हैं और कुछ गड्ढों में, वैसे ही अनेक जन्मों के बाद मानव जीवन प्राप्त होना सौभाग्य है। मंगलवार को जैन मुनि ने कहा कि श्रावक धर्म को प्राप्त व्यक्ति उस नदी के समान है जो सागर तक की यात्रा करती है, सभी बाधाओं को पार करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती है। जीवन के दो मुख्य पहलुओं पर विचार करने का आग्रह किया गया है। एक सांसारिक सुख-सुविधाओं और यश के लिए, और दूसरा आध्यात्मिक कल्याण के लिए। व्यक्ति अक्सर पहले पहलू पर ही सारा जीवन लगा देता है, जबकि सांसों का अंत प्रभु चरणों में होना चाहिए। एक लोभी राजा की कहानी जिसम...