नई दिल्ली, अगस्त 25 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि संविधान का अनुच्छेद-32 अदालत को प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों के उल्लंघन के आधार पर मृत्युदंड के मामलों में सजा पर फिर से विचार करने का अधिकार देता है। अदालत ने मृत्युदंड की सजा पाए एक दोषी की याचिका पर फिर से सुनवाई करने पर सहमति जताते हुए यह टिप्पणी की। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने अनुच्छेद-32 के तहत दोषी की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों का उल्लंघन हुआ है। पीठ ने कहा कि हम मानते हैं कि संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत यह अदालत उन मामलों में, जहां किसी आरोपी को मृत्युदंड दिया गया है, दंड निर्धारण की प्रक्रिया पर फिर से विचार करने का अधिकार रखता है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 32 का असाधारण अधि...