नई दिल्ली, जुलाई 16 -- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अदालतों से कहा कि किसी अपराध में दोषी प्रतीत होने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही करने की शक्ति का प्रयोग सावधानी और संवेदनशीलता से करना चाहिए, न कि उसे परेशान करने के साधन के रूप में। शीर्ष अदालत ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा-319 के प्रावधानों के मुद्दों से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। जस्टिस संजय करोल और जॉयमाल्या बागची की पीठ पूर्ववर्ती दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-319 से संबंधित एक मामले की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें यह कहने की जरूरत नहीं है कि इस शक्ति का प्रयोग अत्यंत सावधानी के साथ किया जाना चाहिए, न कि लापरवाही, निष्ठुरता के साथ। पीठ ने कहा कि इसका उद्देश्य केवल न्याय के उद्देश्य को आगे बढ़ाना है, न कि किसी व्यक्ति को परेशान करने या कानून क...