कन्नौज, दिसम्बर 1 -- कन्नौज,संवाददाता। आलू व गेहूं की फसलों में आवश्यकता से अधिक यूरिया का प्रयोग नुकसानदायक साबित होता है। किसान अक्सर अधिक उत्पादन की उम्मीद में अत्यधिक यूरिया डाल देते हैं। जिससे फसल की बढ़वार प्रभावित होती है, मिट्टी की गुणवत्ता घटती है और कीट-रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है। यूरिया का प्रयोग उचित मात्रा और सही समय पर ही करें, ताकि उत्पादन बढ़े, लागत कम हो और मिट्टी की स्वास्थ्य व जीवांश संतुलित बना रहे।यह बात उप निदेशक कृषि संतोष कुमार ने किसानों को आलू की फसल के लिए वैज्ञानिक तरीके से यूरिया के उपयोग की जानकारी देते हुए कही। बताया कि बलुई मिट्टी में आलू बोने पर 20-25 किग्रा यूरिया प्रति बीघा की मात्रा को तीन भागों में बांटकर प्रयोग करना चाहिए। पहला छिड़काव बुवाई के 20-25 दिन, दूसरा 30-35 दिन बाद तथा तीसरा 35-40 दिन बाद ओ...