भागलपुर, मई 8 -- माता-पिता और गुरु के आशीर्वाद से जीवन संचारित होता है। माता-पिता के समान पवित्र इस संसार में दूसरा कोई भी नहीं है। उन्हें सुख देना ही सुखी रहने का सर्वोत्तम उपाय है। माता-पिता और गुरु सर्वदा पूजनीय हैं। सनोखर के तेलौंधा में चल रहे महारुद्र यज्ञ के छठे दिन काकभुशुण्डि का प्रसंग भक्तों को सुनाते वृंदावन की कथावाचिका चंचल किशोरी ने कथा के दौरान दशरथजी को ज्ञान का तो कौशल्या को भक्ति का प्रतीक बताया। जिसके कारण उनके गोद में श्रीराम आ सके। काकभुशुण्डि के अनुसार इस कथा से अटूट भक्ति, ज्ञान, सद्गुणों का विकास और अहंकार, गलत आचरणों का दमन संभव है। श्रीराम का भारतीय भूमि पर अवतार मानवजाति को आदर्श जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए हुआ। कथा के दौरान शिव-पार्वती की झांकी भी निकाली गयी। राम कथा का श्रवण करने के लिए श्रद्...
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