नई दिल्ली, मई 2 -- कुछ साल मेहनत करने और डिग्री हासिल करने के बाद जब आपको अपने मन की नौकरी मिली थी, तब क्या कभी सोचा था कि एक दिन सब कुछ ठहरा हुआ महसूस होगा। यानी गाड़ी स्टेशन से तो छूट गई, लेकिन बीच में ही किसी जगह आकर ऐसी रुकी कि आगे बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही। अब न तो आप इससे उतर सकती हैं और न ही इसे आगे बढ़ा पा रही हैं। वहीं अगल-बगल की पटरी पर तेजी से गाड़ियां निकलती जा रही हैं। जूनियर सीनियर हो गए, साथ वालों में कुछ लोग मनचाही कुर्सी तक पहुंच गए, लेकिन शायद आप और आपके कुछ गिने- चुने साथी आज भी वहीं के वहीं खड़े, उतने ही वेतन और उसी जगह या एकाध पद ऊपर ही आ पाए। अप्रेजल और प्रमोशन में पता नहीं कब आखिरी बार आपका नाम आया था और यह भी नहीं पता कि आगे कब आएगा। संभव है कि अब आपने भी इन चीजों से समझौता कर लिया हो और इसे किस्मत पर छोड़ते हुए अपने प...
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