नई दिल्ली, जुलाई 11 -- पाबंदियां, मनाही, भेदभाव... भारतीय महिलाओं का एक बड़ा तबका इन सब चीजों का सामना करते हुए धीरे-धीरे जिंदगी में आगे बढ़ा। यह वह पीढ़ी थी, जो ना सुनते हुए ही बड़ी हुई, लेकिन उन्होंने आज की पीढ़ी के लिए रास्ते बनाए। आज की लड़कियां इस सोच के साथ बड़ी हो रही हैं कि वो कुछ भी कर सकती हैं। नतीजा, न वह डरती है और न ही अपने सपनों से समझौते करती है। एक समय में घर के पुरुष सदस्य के साथ घर से बाहर निकलने वाली भारतीय महिलाएं अब अकेले देश-दुनिया नाप रही हैं। वे अपनी आंखों से दुनिया देख रही हैं, नए-नए अनुभव इकट्ठा कर रही हैं और आजादी के मायने बदल रही हैं।कौन कर रही हैं अकेले सफर उम्र अभी कम है, अकेले कैसे घूमने जाओगी? बाल-बच्चे हो गए हैं, ये भी कोई उम्र है अकेले घूमने की? आश्चर्य की बात है कि ये दोनों तरह की टिप्पणी सुनने वाली 18 स...
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