लखनऊ, जून 30 -- मोहर्रम माह के तीसरे दिन मजलिसों और मातम का सिलसिला जारी रहा। अजादारों ने मजलिसों में शिरकत की वहीं महिलाओं ने घरों में मातम करके हजरत फातिमा को उनके बेटे का पुरसा दिया। इसके अलावा मजलिसों में लब्बैक या हुसैन और हुसैन बादशाह के नारों की गूंज रही। इमामबाड़ा गुफरामाआब चौक में मौलाना कल्बे जव्वाद ने मजलिस को खिताब करते हुए इमाम हुसैन की अजमत और फर्शे अजा की अहमियत बयान की। मौलाना ने कहा अगर किसी को निजात चाहिए तो उसको सफीना-ए-निजात में दाखिल होना होगा, ये सफीना-ए-निजात इमाम हुसैन हैं जिनके बारे में पैगम्बरे इस्लाम ने फरमाया हैं कि बे शक मेरा हुसैन हिदायत का चिराग और निजात की कश्ती है जो इसमें दाखिल हो गया उसने निजात पाई। इमामबाड़ा आगा बाकर चौक में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम ने फरमा...
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