डभौरा, अगस्त 20 -- वतन के जां-निसार हैं वतन के काम आएंगे,हम इस जमीं को एक रोज आसमां बनाएंगे...जफर मलीहाबादी का ये शेर उन असंख्य वीर सेनानियों पर एकदम सटीक बैठता है। हमने अपनी किताबों और इतिहास के पन्नों में चुनिंदा स्वतंत्रत सेनानियों को पढ़ा लेकिन इनके अलावा भी ऐसे वीर थे जिन्होंने अपने रक्त से इस धरती को सिंचित किया और सदा के लिए अमर हो गए। ऐसे ही एक वीर योद्धा थे पं रणजीत रॉय दीक्षित। इस नाम का इतना खौफ था कि अंग्रेजों को न जाने कितनी बार इस बहादुर रणबांकुरे ने छठी का दूध याद दिलाया था। आज के दिन जमींदार पं रणजीत रॉय दीक्षित ने अपनी मां भारती के लिए बलिदान दिया था। मध्य प्रदेश के रीवा जिले के डभौरा से ताल्लुक रखने वाले रणजीत राय दीक्षित की कहानी आज के युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। देश में कई कोनों में सन 1857 में आजादी की ज...
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