महाराजगंज, अप्रैल 6 -- महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम।जिले का टापू कहे जाने वाले नारायणी नदी के दियारा में बसे गांव सोहगीबरवा, शिकारपुर व भोतहा के ग्रामीण आजादी के बाद ही लोकसभा चुनाव में मतदान करते चले आ रहे हैं, लेकिन अभी तक की सरकारों ने सोहगीबरवा को उसके भौगोलिक दुश्वारियों को दूर करने का साथ प्रयास नहीं किया। वर्ष 2014 में मोदी 1.0 के शासन काल में इंडो-नेपाल बार्डर रोड परियोजना को मंजूरी दी गई। 500 किमी लंबी इस परियोजना के तहत महराजगंज जिले में 80 किमी सड़क व नारायणी नदी पर पुल का निर्माण होना है। इस पुल से सोहगीबरवा क्षेत्र के लोगों को जिले से सीधे जुड़ाव का मुख्य मार्ग मिलना है, लेकिन यह परियोजना दस साल बाद भी अधूरी है। सोहगीबरवा, शिकारपुर व भोतहा के बाशिंदों को अपने ही जिले में आने के लिए बिहार व कुशीनगर जिले से घूम कर आना पड़ रहा है। ...