आजमगढ़, मार्च 22 -- निजामाबाद, हिन्दुस्तान संवाद। रमजान के दूसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत करता है। इस अशरे में रोजेदार कसरत के साथ कुरान की तिलावत करने और अल्लाह से मगफिरत की दुआ मांगने में जुट गए हैं। रमजान का पहला अशरा गुजर चुका है। दूसरा अशरा शुरू हो चुका है। जिसे मगफिरत का अशरा कहा जाता है।इसमें अल्लाह अपने बंदों की मगफिरत करता है और उनके गुनाहों को माफ करता है। मौलाना एहतेशाम मिस्बाही ने बताया कि सभी को चाहिए कि वह रमजान के दूसरे अशरे में कसरत के साथ कुरान की तिलावत करें और अल्लाह से मगफिरत की दुआ मांगें। उन्होंने बताया कि इंसान खताओं का पुतला है। उससे गलतियां होती हैं। अल्लाह ताला बंदों को गलतियों से तौबा करने का मौका देता है और उनकी मगफिरत फरमाता है। दूसरे अशरे में सच्चे दिल से की गई तौबा कुबूल होती है और गुनाहों की माफ...