नई दिल्ली, फरवरी 20 -- भ्रम की ‘माया’ बहुत विचित्र है। इसकी ठगाई से आम इनसान से लेकर राजा-महाराजा तक भी नहीं बचे हैं। और तो और बड़े-बड़े ऋषि-मुनि तक इसके जाल में फंस चुके हैं। इसके बारे में कबीर ने कहा है-‘माया महा ठगनी हम जानी’ इसलिए इस महा ठगनी माया यानी भ्रम पर विजय पाना ही वास्तविक आध्यात्मिक उपलब्धि है। यह वास्तविकता है कि महान अवतार भी कभी नश्वर मनुष्य थे, परंतु उन्होंने सफलता प्राप्त कर ली। यही सफलता उन्हें ठोकरें खाती मानव जाति के लिए शक्ति और प्रेरणा का स्तंभ बना देती है। दिव्य अवतारों को भी कभी स्वयं को पूर्ण बनाने हेतु मानवीय परीक्षणों एवं अनुभवों से गुजरना पड़ा था। सद्गुरु वह है जिसकी चेतना का, ईश्वर के प्रकाश को पूर्ण रूप से ग्रहण करने और उसे परावर्तित करने के लिए शुद्धिकरण हो चुका हो। सूर्य का प्रकाश कोयले और हीरे पर समान रू...