लखनऊ, अप्रैल 28 -- प्रदेश ही नहीं राष्ट्रीय स्तर के नामी-गिरामी और कद्दावर नेताओं ने अलगांव का रास्ता अपनाकर प्रदेश में दर्जनों पार्टियां बनाई। ये पार्टियां जोर-शोर से मैदान में भी आईं और चुनाव भी लड़ा लेकिन बाद में वे या तो गुनामी के अंधेरे में खो गई या फिर किसी अन्य पार्टी में उसका विलय हो गया।  इनमें कई ऐसी राजनीतिक पार्टियां रहीं हैं जिन्हें चुनावों में अपनी कार्यकारिणी के सदस्यों के अलावा और किसी ने वोट तक नहीं दिया।  आजादी के बाद से अब तक प्रदेश में तमाम ऐसे अवसर आये जब बड़े नेताओं ने अपनी मूल पार्टी को त्यागकर नया दल बना लिया और बाद में उनकी पार्टियां अपना स्वयं का अस्तित्व समाप्त कर दी। ये ऐसे राजनेता या राजनीतिक हस्तियां रहीं हैं जिनका न सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश की राजनीति में भी बड़ी धाक रही है और उनके कदम को उनकी पार्टी से ऊं...